ये किसका तसव्वुर है ये किसका फ़साना है जो अश्क है आँखों में तस्बीह का दाना है जो उन पे गुज़रती है किसने उसे जाना है अपनी ही मुसीबत है अपना ही फ़साना है आँखों में नमी सी है, चुप-चुप से वे बैठे हैं नाज़ुक सी निगाहों में नाज़ुक सा फ़साना है ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना तो समझ लीजे एक आग का दरिया है और डूब के जाना है या वो थे ख़फ़ा हम से या हम हैं ख़फ़ा उनसे कल उन का ज़माना था आज अपना ज़माना है
Ye kisaka tasawwur hai ye kisaka fasaana hai Jo ashk hai ankhon men tasbih ka daana hai Jo un pe guzarati hai kisane use jaana hai Apani hi musibat hai apana hi fasaana hai Ankhon men nami si hai, chup-chup se we baithhe hain Naazuk si nigaahon men naazuk sa fasaana hai Ye ishq nahin asaan itana to samajh lije Ek ag ka dariya hai aur dub ke jaana hai Ya wo the khafa ham se ya ham hain khafa unase Kal un ka zamaana tha aj apana zamaana hai
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Manjusha Sawant
तस्बीह : String of beads