नील गगन की छाँव में दिन रैन गले से मिलते हैं
दिल पंछी बन उड़ जाता हैं, हम खोये खोये रहते हैं ...
Read Moreनील गगन की छाँव में दिन रैन गले से मिलते हैं
दिल पंछी बन उड़ जाता हैं, हम खोये खोये रहते हैं
जब फूल कोई मुस्काता हैं, प्रीतम की सुगंध आ जाती हैं
नस नस में भँवर सा चलता हैं, मदमाती जल न तल पाती हैं
यादों की नदी घिर आती हैं, हर मौज में हम तो बहते हैं
"मदमाती जल न तल पाती हैं " या ""मदमाती जलन तल पाती हैं "
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