ये जब से हुई जिया की चोरी पतंग सा उडे ये मन जो है तेरे हाथों में डोरी पडी जो मेरे तन पे, ये सूने जीवन पे सलोने तेरी धूप निखर गई मैं तो, संवर गया देखो ये मेरा रूप कहे मोसे दर्पण हो गयी तू नई क्या जादू किया तैने बाँधा जो तुझे मैंने ये आँचल से झूमे रे मन मेरा लिखा है नाम तेरा जो काजल से जिधर अब मैं देखूँ बस दिखे रे तू ही#MoushumiChatterjee #VinodMehra
Ye jab se hui jiya ki chori Patng sa ude ye man jo hai tere haathon men dori Padi jo mere tan pe, ye sune jiwan pe Salone teri dhup Nikhar gi main to, snwar gaya dekho ye mera rup Kahe mose darpan ho gayi tu ni Kya jaadu kiya taine Baandha jo tujhe mainne ye anchal se Jhume re man mera likha hai naam tera jo kaajal se Jidhar ab main dekhun bas dikhe re tu hi
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