दर्द जब तेरी अता है तो गिला किससे करें हिज्र जब तूने दिया है तो मिला किससे करें अक़्स बिखरा है तेरा टूट के आईने के साथ हो गई ज़ख़्म नज़र अक़्स चुना किससे करें मैं सफ़र में हूँ मेरे साथ जुदाई तेरी हमसफ़र ग़म है तो फिर इसको जुदा किससे करें खिल उठे गुल या खुले दस्त-ए-हिनाई तेरे हर तरह तू है तो फिर तेरा पता किससे करें तेरे लब तेरी निगाहें तेरा आरिज तेरी ज़ुल्फ़ इतने ज़िन्दा हैं तो इस दिल को रिहा किससे करें
Dard jab teri ata hai to gila kisase karen Hijr jab tune diya hai to mila kisase karen Aqs bikhara hai tera tut ke aine ke saath Ho gi zakhm nazar aqs chuna kisase karen Main safar men hun mere saath judaai teri Hamasafar gam hai to fir isako juda kisase karen Khil uthhe gul ya khule dast-e-hinaai tere Har tarah tu hai to fir tera pata kisase karen Tere lab teri nigaahen tera arij teri zulf Itane zinda hain to is dil ko riha kisase karen
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Manjusha Sawant
हिज्र : separation
दस्त-ए-हिनाई : Hennaed hands