मेरे दिल से सितमगर तू ने अच्छी दिल्लगी की है के बन के दोस्त अपने दोस्तों से दुश्मनी की है मेरे दुश्मन तू मेरी दोस्ती को तरसे मुझे ग़म देनेवाले तू खुशी को तरसे तू फूल बने पतझड़ का, तुझ पे बहार न आए कभी मेरी ही तरह तू तड़पे, तुझ को करार न आए कभी जिए तू इस तरह के ज़िन्दगी को तरसे इतना तो असर कर जाए, मेरी वफ़ाएँ, ओ बेवफ़ा एक रोज़ तुझे याद आए, अपनी जफाएँ, ओ बेवफ़ा पशेमां हो के रोए, तू हँसी को तरसे तेरे गुलशन से ज़्यादा, वीराँ कोई वीराना ना हो इस दुनिया में कोई तेरा अपना तो क्या, बेगाना ना हो किसी का प्यार क्या तू बेरूख़ी को तरसे#Dharmendra #AshaParekh #Nazima
Mere dil se sitamagar tu ne achchhi dillagi ki hai Ke ban ke dost apane doston se dushmani ki hai Mere dushman tu meri dosti ko tarase Mujhe gam denewaale tu khushi ko tarase Tu ful bane patajhad ka, tujh pe bahaar n ae kabhi Meri hi tarah tu tadpe, tujh ko karaar n ae kabhi Jie tu is tarah ke zindagi ko tarase Itana to asar kar jaae, meri wafaaen, o bewafa Ek roz tujhe yaad ae, apani jafaaen, o bewafa Pashemaan ho ke roe, tu hnsi ko tarase Tere gulashan se jyaada, wiraan koi wiraana na ho Is duniya men koi tera apana to kya, begaana na ho Kisi ka pyaar kya tu berukhi ko tarase
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