ज़रा सी आहट होती है तो दिल सोचता है कहीं ये वो तो नहीं, कहीं ये वो तो नहीं छूप के सीने में कोई जैसे सदा देता है शाम से पहले दिया दिल का जला देता है है उसी की ये सदा, है उसी की ये अदा कहीं ये वो तो नहीं शक्ल फिरती है निगाहों में वही प्यारी सी मेरी नस नस में मचलने लगी चिंगारी सी छू गई जिस्म मेरा किसके दामन की हवा कहीं ये वो तो नहीं#PriyaRajvansh #ChetanAnand
Jra si ahat hoti hai to dil sochata hai Kahin ye wo to nahin, kahin ye wo to nahin Chhup ke sine men koi jaise sada deta hai Shaam se pahale diya dil ka jala deta hai Hai usi ki ye sada, hai usi ki ye ada Kahin ye wo to nahin Shakl firati hai nigaahon men wahi pyaari si Meri nas nas men machalane lagi chingaari si Chhu gi jism mera kisake daaman ki hawa Kahin ye wo to nahin
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