एक लड़की भीगी भागी सी
सोती रातों में जागी सी
मिली इक अजनबी से , कोई आगे न पीछे
तुम ही कहो ये कोई बात हैं
दिल ही दिल में जलि जाती है
बिगड़ी बिगड़ी चली आती है - २
झुन्जलाती हुई , बलखाती हुई
सावन की सूनी रात में
डग मग डग मग लहकी लहकी
भूली भटकी , बहकी बहकी - २
मचली मचली घर सी निकली
पगली सी काली रात में
तन भीगा हैं सर गीला है
उसका कोई पेंच भी ढीला है - २
तनती झुकती ,चलती रुकती
निकली अँधेरी रात में