खोजते थे आलिम जिसे, साक़ी के पैमाने में मिल गयी ताबीर-ऐ-ज़िन्दगी, इश्किया नज़राने मेंहोशवालों को ख़बर क्या, बेखुदी क्या चीज़ है इश्क़ कीजे फिर समझिये, ज़िन्दगी क्या चीज़ है वो ज़हन में यूँ समाए, बन के दिल की शायरी आज जाना रूह की ये, ताज़गी क्या चीज़ है खिलते फूलों में सेहर की, शबनमे - ऐ - ख़ासगी उनकी क़ुरबत ने सिखाया, आफ़रीँ क्या चीज़ है जामे - उल्फत में समाए, पैमानों से आशिकी वो गुज़र जाएं जिधर से, मैकशी क्या चीज़ है
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