Saumya M's Lyrics

Mere Rashk-E-Qamar (Dipswaraa) / मेरे रश्के कमर तूने पहली नज़र

निकले थे हम दौलत-ए-बेशुमार लूटने मयस्सर राहें जटिल हो गईं ताबीर-ए-सुकून जब छू गई रूह को लूट कर वो इनायत मज़ा आ गया
आ गए वो मेरे ख़्वाबों में इस तरह अब्र तस्वीर से जैसे छट सी गई हसरते आरजू यूँ मुक़ाबिल हुए नियतों का फिसलना मज़ा आ गया मेरे रश्के कमर तूने पहली नज़र जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया चाँदनी ओढ़कर, सब्र को तोड़कर, इत्तफाके मुहब्बत मज़ा आ गया कातिलाना अदब जुल्फों की हरकतें आरिज़े वो गुलिस्तां कलम कर गयी अंजुमन में भी महरूम मुस्ताकियाँ वो हयाते मुकम्मल मज़ा आ गया ऐसे बलखाके वो जो चले शाम से, सारे बाज़ार की साँसें थम सी गयीं बांह में बांह डाले हुए हमनशीं मस्तियों का वो आलम मज़ा आ गया आग पर खेलकर, हम मिले इस कदर इख़्तियारे मरासिम मज़ा आ गया

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गीतकार : -, गायक : -, संगीतकार : -, गीत संग्रह / चित्रपट : - / Lyricist : -, Singer : -, Music Director : -, Movie : -

Saumya M Lyrics Submitted By

Saumya M

October 24 2017

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